पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त कि�
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त कि�